Thursday, September 30, 2010
हरी अनंत हरी कथा अनंता
सुंदर विचार मन में आये तो लिखंत तुरन्ता
आज के मानव का तुरत फुरत में विस्वास है
इसलेय जब भी कोइए सुंदर विचार मन में आये
तुरंत का तुरंत कही न कही लिख देने चाहिय
आज के लिया इतने ही विचार मन के अंदर अभी तक आये है
Wednesday, September 29, 2010
जो फैसला---फासला बढा दे वोह फैसला किसी को मंजूर नहीं
कई दिनों से देश के अंदर लोगो के अंदर एक दर सा बना हुआ है कि अगर फैसला आया तो क्या होगा
कोइए खुश होगा होगा कोइए नाराज होगा जो खुस होगा वोह खुसी का इजहार करेगा जो नाराज होगा
वोह naragi का इजहार करेगा
अब आदमी का इजहार का तरीका बदल चुका है ,वोह कैसे अपने प्यार और गुस्सा का इजहार कैसे करेगा ।
यह कोइए नहीं जनता है ,हर आदमी डरा हुआ है ,
आज सुबह घर से फ़ोन आया कि छुट्टी में घर आने कि जरुरत नहीं है ,घर में खाने का सामान भर कर रखना
कुछ भी हो सकता है ,अब आप बताये हम लोग क्या करे ,
घर से निकलने छोड़ दे ,
चारो तरफ पुलिस ही पुलिश नज़र आ रही है ,कई लोगो से बातचीत हुए सब डरे है वोह किसी भी धरम कई हो
हम तो एक बात जानते है कि दंगो में मरने वाला न तो हिन्दू होता है न ही मुस्लमान होता
वोह किसी का भी,किसी का बाप,किसी का बेटा य किसी कई घर का chirag होता है
जब तक उजाला नहीं होता है तब तक कोइए चिराग को भी नहीं बुझाता है ,
इस सममाया मै सभी लोओग samajhdari kai साथ काम ले
जो फैसला दुरिया कमकरता है हम सबको मंजूर है
बाबर एक लुटेरा था
इस्लाम में लूटी हुयी चीज हराम है ,फिर यह हो हल्ला कियो है ,
यह तो राम का मंदिर था ,राम का मंदिर है और राम का मंदिर ही रहेगा , jai सिया राम ,
कट्टर मुस्लमान न तो pahle विश्वास के काबिल था न ही आज विश्वास के काबिल है ,
बाबर एक लुटेरा था,आप ithaas नहीं बदल सकते है ,मुग़ल काल में बेटे नै बाप कई साथ भाई नै भाई के साथ गद्दारी कि थी ,इतिहास गवाह है ,
Tuesday, September 28, 2010
हमने देखा ,हम देख रहे है,
फिर आप कहेना की गुलामी से आच्छी koi जिंदगी नहीं होती ,
जय जवान जय किसान की जगह,
जय जवान जय गुलाम का नारा आप को देने होंगे
Monday, September 27, 2010
कोरा कागज आपका मन
ठीक उसी तरह आप की जिंदगी है.आप जो बनाना चाहते है उसको ठीक उसी प्रकार से बना सकते है
जिंदगी एक तरह से सपनों का संसार है ,आप कैसे सपने देखेते है यह सब आप पर निर्भर करता है ,
आप जो सोचते है कभी कभी वैसा ही होता है ,
कभी कभी आप जैसा सोचेते है ठीक उसका उल्टा होता है ,
आप के मन माफिक हो गया तब सब ठीक है ,
नहीं तो आप कहते है की जिंदगी नरक है ,जिंदगी स्वर्ग है य नरक है यह सब आप को तय करना है ,
एक छोटीसी कहानी है ,
एक आदमी सुबह सुबह तैयार होकर ऑफिस जाने को निकला बहार निकलते ही उसके उपर किसी पक्षी नै बीत कर दी ,किसी नै कह यार यह तो बड़ा आच्छा नहीं हुआ ,
वोह आदमी जिसके उपर बीत गिरी थी बोला यार यह तो बहुत ही आच्छा हुआ
की गाय और भेस को उड़ना नहीं आता नहीं तो आज पता नहीं क्या हुआ होता
जिंदगी एक कोरा कागज है ,आप जिन्दादील्ली से जीते है या घुट घुट कर जीते है यह सब आप के उपर है
Saturday, September 25, 2010
क्या जाती आप को रोटी देती है,क्या मंदिर और मस्जिद आप को रोटी देते है
कोई मंदिर पर ,कोई जाती पर बहुत ही बिशेष बल दे रहा है
मेरी समझ में एक बात नहीं आती है की क्या आपलोगों को जाती रोटी देते है
आप लोग कल से काम पर म़त जाओ फिर देखो की क्या आप की जाती के लऊगआप की रोजमर की जरुरत को पूरा करने में सक्षम है जवाब होगा --नहीं
जब जबाब नहीं में है तो फिर कियो जाती का हो हल्ला करते हो
रह गए मंदिर और मस्जिद की बात क्या मंदिर और मस्जिद आप को रोटी देते है ----जबाब होगा ---नहीं
तब फिर कियो कहते है की यह मेरा मंदिर है और यह मेरी मस्जिद है ---यह सब उनलोगों की करामत है जिनलोगो के पेट भरा है वोह लोग अपने मनोरंजन के लिया यह सब नाटक करवाते है
अपना पेट आप नै खुद ही भरना है ,एक बहुत बड़ी आबादी को इन सब से कोइए लेना देना नहीं है
बल्कि वोह सब लोग तो इन सब के नाम से जो हो हल्ला होता है उस से डरते है
जैसे जाट आन्दोलन करिओ नै दिल्ली में जम कार उत्पात मचाया
बेचारा रेहड़ी वाला उसका सामान लूट कार खा गए रेहड़ी पलट दी
यह पुछा था की वोह किस जाती का है वोह तो सदमे मेंआगया उसकी तो रोजी रोटी वोही थी
क्या जाट नेता लोगो नै उसकी रोजी रोटी का दुबारा इन्तिज़ाम क्या ---जबाब होगा ---नहीं
वोह बेचारा रेहड़ी वाला खुद ही दुबारा अपनी रोजी रोटी का इन्तिजाम करेजा
इसी लिया कहता हूँ की यह सब हम को आप को रोजी रोटी नहीं दे सकते ही ---केवल आप का सोसण कार सकता है इन सब से बचो और अपने आप को आगे ले कर तरक्की करो
करामाती आइना
अचानक एक दिन आईने में खुद को जो हमने गौर से देखा,वो दिन था और आज का दिन हे खुद के सिवा कोई अच्छा नही लगता.कल कुछ लोग थे अपने जिनके चेहरे पर झिल्लियाँ नकाबों सी थी नकाब हट गए सारे अब उनमे कोई अपना सा नहीं लगताधुंध छट गई दिल की रिश्तों के मायने बदल गए हैं सारे अब तो अजनबी करामातों से भी डर सा नहीं लगता ."
कल को बच्चा भी ब्रांडेड होगा ???????
आज का बाज़ार वाद पर आप के अपने किस तरह से आप के उपर हावी ही
जमाना बदल गया है – प्यारे, तू भी बदल
जमाना बदल गया है – प्यारे, तू भी बदल.
सही में, जमाना कितना बदल गया है. आज बुद्धू-बक्से (टी वी को हम यही नाम दिया करते थे न) से होकर बाजार हम पर कितना हावी हो गया है – ये बात आज अपने 11 वर्षीय बेटे (और मोहल्ले में उसके मित्रगण) को देख कर लगती है. पापा आप पुराने हो?
गाँव के नाम पर – नाक सिकोड़ कर कहता है – नहीं पापा वहाँ नहीं जाना. क्यों ? पापा – वहाँ पोटी कि स्मेल आती है (भैंस के गोबर की) ये बालक वहाँ का दूध नहीं पीना चाहता. गन्दी भैंस से निकला है. घर में अगर गाँव से आयातित मक्खन आ जाये – तो इनको पसंद नहीं – इनको चाहिए अमूल बटर.
अब आप क्या कहेंगे.
पापा आप गाडी कब लोगो ?
बेटा, क्या जरूरत है, (मैं दोपहिया वाहन का इस्तेमाल करता हूँ)
नहीं पापा, कुआलिस लो?
बेटा – मारुती ८०० क्यों नहीं
नहीं पापा, that’s old one
Ok, मैं चुप हो जाता हूँ.
बेटा, इन छुट्टियों में हम मनाली घूमने जायेंगे ?
नहीं पापा – न्यूजीलैंड?
अरे .............. क्यों
नहीं पापा – न्यूजीलैंड? क्यों का जवाब उसके पास नहीं है – पर मैं ये मानता हूँ कि, उसके क्लास फैलो विश्व भ्रमण का चस्का लग गया है तो ये कैसे पीछे रहे.
बेटा, आज रोटी क्यों नहीं खाई ......... क्या पापा रोज-रोज रोटी. क्या मतलब. मुझे रोज रोज रोटी नहीं खानी. फिर क्या ? पिज्जा, ब्रेड-ऑमलेट और सैंडविच. रोटी तो ये इंडियन खाते हैं.
तो, तू इंडियन नहीं है ..............
.......... हुम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म
अच्छा.
फलां – साबुन लाना, फलां पावडर लाना (दूध में डालने हेतु), फलां टूथ पेस्ट लाना. यानी ये पीड़ी हर जगह से ब्रांडिड है. या ये माना जाये – कि ये आज़ाद देश और आज़ाद ख्याल के गुलाम व्यक्तित्व बन चुके हैं. जैसे पहनने के, ओढने के, पीने के, खाने के – हर चीज़ के ब्रांड हैं. और उस ब्रांड के बिना ये जी नहीं सकते.
और ये लोग आज खामख्वाह ही बड़े-बड़े माल में घूमना चाहते हैं – और वहीँ से खरीदारी करना चाहते हैं. बनिया कि दूकान अब इनको ओल्ड फैशन लगती है.
हम जब ४-५ कक्षा में थे – हमारे आदर्श – भगत सिंह, आज़ाद, नेताजी बोस जैसी शक्सियत होती थी. पर आज इनकी – शाहरुख खान, जान अब्राहिम और जान सीना (शायद wwf) वाले हैं.
इस समय चाणक्य जैसे नीतिकार अगर होते तो उन्हें दुबारा सोचना पड़ता....... आज ८ साल के बालक को आप प्रताड़ित नहीं कर सकते. ये मेरा मानना है.
आज ये पीडी इन्टरनेट में मुझ से ज्यादा जानती है. उनको कई वेबसाइट पता हैं – जो स्कूल में बच्चे आपस में शेयर करते हैं. विंडो सेवेन आपने अपने कम्पुटर में डाली हो या नहीं – उनको चाहिय. और सबसे मजेदार बात ये है कि उनको विन्डोज़ सेवेन के कई नए फंक्शन मालूम है – जो आपको मालूम नहीं. और उनके पास किसी वेबसाइट का एड्रेस भी है जहाँ से ये डाउनलोड हो सकती है.
जैसे कर्ण को कुंडल और कवच जन्म से मिले थे – उसी प्रकार मोबाइल फोन इनको मिला है. कौन सा नया मॉडल, किस कंपनी का, कौन-कौन से नए आप्शन इसमें है. ये आपको किसी प्रशिक्षित सेल्समैन कि तरह समझा देंगे................... और बता भी देंगे – पापा अमुक ही लेना.
याद आता है जब स्कूल में फीस के नाम पर 40 पैसे चंदा दिया जाता था (हाँ तब हम फीस को चंदा ही कहते थे) और १० तारिख निकल जाने के बाद भी जब नहीं दे पाते थे – तो मा’साब वापिस घर भेज देते थे – जाओ चंदा लेकर आओ. इसी वज़ह से जब क्लास में खड़ा करते थे – ऐसा लगता था – मानो जमीन फट जाए – और हम बीच में समां जाए. बहुत ही शर्म आती थी. आज बच्चे से पूछो – बेटा इस बार आपका स्कूल फीस का चेक जमा नहीं करवा पाए – मेम ने कुछ कहा तो नहीं ? तो वो हँसता है ?
बताओ भाई ?
कुछ नहीं ?
कुछ तो बोला होगा
कुछ नहीं ? मुहं कि एक विशेष सी आकृति बना कर वो कहता हैं.
वो मैम बला बला बला बला बला बला बला बला बला कर रही थी.........
अब बताइये ............... कैसे निभाएंगे आप इस पीड़ी के साथ?
हैं न यक्ष प्रशन .
बहरहाल, जय राम जी की.
और मेरा मानना ये है कि ये सब बाजारवाद का ही परिणाम है।
अगर यही हाल रहा तो कल को आपकी बच्चे भी ब्रांडेड होंगे ???????????????
Thursday, September 23, 2010
सुंदर,सुन्दरता,सुंदर संसार
सुंदर सब्दो को सुन कार मन में खुसी का अहसास होता है ,सुन्दरता का मानव जीवन में होना अति जरुँरी है ,
मानव मन को अपना मन सुंदर रखना चाहिय ,
तन भी सुंदर ,मन भी सुंदर,तभी आप को सारा संसार बहुत ही सुंदर दिखाई देगा ----------------सुंदर संसार
Wednesday, September 22, 2010
भूल गया सब कुछ याद नहीं अब कुछ
कितना आसान है यह कहना की में तो भूल गया ,
आप के इतना भर कहना से पता नहीं सामने वाले पर क्या बीती यह शायद आप को नहीं मालूम ,
क्या आप कभी कुछ भूले है ,यात्रा का टिकेट ,टेलेफोन का बिल, बिजली का बिल, सब्जी का लाना ,बीबी का जनम दिन ,कभी न कभी तो हर आदमी कुछ न कुछ तो भूलता ही है ,भूलना आदमी की फितरत में शामिल है ,
कभी कभी लोग भुलाने का नाटक भी करते है की यार में तो भूल गया क्या आप के साथ कभी भूलने का इत्तफाक हुआ है अगर हुआ है ---------------------------------------
Tuesday, September 21, 2010
सतयुग में राम की महिमा और कलयुग मै दाम की महिमा
राम का नाम लेकर न जाने कितने ही लोगो नै अपने को तर लिया है
राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट अंत कल पछ taye गा जब प्राण जाये छूट ,
राम का नाम आज कल जो लोग कलयुग में लe rahe है, मौज कार रहे है ,
आज कल कलयुग में दाम की बहुत महिमा है इस के liye लोग कुछ भी कर सकते है .किसी नै कहा है
तुलसी जग में दो बड़े दामोदर और दाम ,दामोदर बेठे रहे दाम करे सब काम ,
आप के पास दाम है तो सब काम आसान है दाम है तो राम है नहीं तो राम नाम स--------है
Monday, September 20, 2010
इंतज़ार ,इंतज़ार,इंतज़ार,इंतज़ार,इंतज़ार,
किसी ko रेलगाड़ी का इन्तिज़ार होता hai,किसी को जहाज का इन्तिज़ार होता है,
विधार्थी को परीशाफल का इन्तिज़ार होता है ,सबको किसी न किसी का इन्तिज़ार होता है ,
किसी के आने का इंतज़ार ,किसी के जाने का इन्तिज़ार ,
यह इन्तिज़ार का समय बहुत ही बेसब्री से काटना पड़ता है ,
इस समय हमको भी किसी का इन्तिज़ार है ,तभी हम यह लिख रहा है-----------
आप के इन्तिज़ार में आपका ----थोडा इन्तिज़ार का मज़ा लीजिये
Sunday, September 19, 2010
बस एक बार मुस्करा दो
भाई इस पर एक गाना भी है की आप का मुस्कराना गजब हो गया
क्योकि की आप ब्लॉग पर है बस एक बार मुस्करा दो
आसिक और फकीर का एक ही हाल होता ही
Saturday, September 18, 2010
सुस्वागतम सुस्वागतम सुस्वागतम सुस्वागतम सुस्वागतम
हम आप का भी स्वागतम सुस्वागतम -----------------कुछ सबद ही आइसे होता ही ki दिल ko khusi mil jati ही
Friday, September 17, 2010
पुरस्कार ,पुरस्कार,पुरस्कार,पुरस्कार,पुरस्कार,
प्रगति के लिया पुरस्कारों का मिलना बहुत ही जरुरी है --------
Thursday, September 16, 2010
शिकार और शिकारी
हम सब मिल कर दुनिया बदल सकते है
Wednesday, September 15, 2010
अचानक दुनिया बदल जाती है
Monday, September 13, 2010
जब अपना कोइए मरता है ,तो आख मैं आसू होते hai
गर फ़िर्दौस बर रुए ज़मीन अस्त, हमीं अस्त, हमीं अस्त ।
भारत का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर से आम भारतीय का नाता बिलकुल ख़तम होता जा रहा है. अगर धार्मिक दृष्टि से छोड़ दें तो कोई भी अब कश्मीर की यात्रा नहीं करना चाहता. क्योंकि वहा पर आतंक का राज है,
वर्तमान परिपेक्ष में कश्मीर के अंदर आतंक विकास करने के लिए एक अच्छा मॉडल सिद्ध हो रहा है, वहा कश्मीरी लोगो को रोजी-रोटी येही पत्थर बाजी से मिलती है, आम भारत वासी चाहते है की कश्मीर और सुलगा रहे, रोज कश्मीरी जनता वहा पर बंद का आयोजन करे, जिस से काम से काम आम भारतवासी को कुछ तो सुकून मिलगे, रोज वहा की जनता वहा की सड़को पर हो, ताकि कल वो अपने आप ही सड़को पर हो.
बेचारा कश्मीरी पंडित तो निरीह है उनकी तो सरकार कुछ नहीं सुनती क्योंकि उनका वोट कि गिनती नहीं है – न ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीरी पंडितों कि आवाज़ उठाने वाली कोई संस्था है. कश्मीर का अवाम चिल्ला चिल्ला कर कह रहा है की आज का कश्मीरी भारत के साथ नहीं है वह तो पैदाइशी पाकिस्तानी है, वहीँ से उनकी रोटी आती है, वहीँ से नोट आता है और आजकल तो वहीँ से पत्थर भी सप्लाई हो रहे है.
आम भारतवासी चाहते है की कश्मीर और सुलगा रहे, ताकि पूरा भारत शांत रहे
लेख में सबसे पहले मुग़ल बादशाह जहाँगीर के शब्द थे ? क्या आज जहांगीर के वंशजों ने ही कश्मीर कि वो हालत कर दी है कि उक्त पंक्तिय लिखते हुए भी हाथ कापता है.
जय हो भारत भाग्य विधाता..................
दुनिया बदल गयी लकिन तू कियूँ न बदला
Sunday, September 12, 2010
रिज़र्व सीट है आप येह पर नहीं बैठ सकता है
रिजर्व आज कल हर आदमी बहुत ही रेजेर्व रहना चाहते है तभी तो कुछ लोगो को मरना के बाद भी उनकी मरना के खबर भी बहुत गुप्त मैं रहती है --------एक सवाल क्या आपभी -----------रहना चाहते है ???????
बस की सीट पर आदमी रुमाल रखे कर कहता है की यह रेजेर्वे है
आराम ही आराम आलसी का दूसरा नाम आराम
Friday, September 10, 2010
शुक्ला जी का आक्रोश
Thursday, September 9, 2010
सरकारी नौकरी कियो चाहिय
क्या आप सरकारी अस्पताल मैं इलग करना चाहते है ----------नहीं
क्या आप सरकारी बस मैं सफ़र करना चाहते है----------------नहीं
क्या आप सरकारी नौकरी करना चाहते है ------हा हा हा हा हा सरकारी नौकरी मैं आराम है काम नहीं .
Wednesday, September 8, 2010
आज का जीवन और उसकी सच्चाई - kahani
एक डॉक्टर साहब एक पार्टी में गए । अपने बीच शहर के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर को पाकर लोगों ने उन्हें घेर लिया। किसी को जुकाम था तो किसी के पेट में गैस। सभी मुफ्त की राय लेने के चक्कर में थे। शिष्टाचारवश डॉक्टर साहब किसी को मना नहीं कर पा रहे थे।
उसी पार्टी में शहर के एक नामी वकील भी आए हुए थे। मौका मिलते ही डॉक्टर साहब वकील साहब के पास पहुंचे और उन्हें एक ओर ले जाकर बोले - यार ! मैं तो परेशान हो गया हूं। सभी फ्री में इलाज कराने के चक्कर में हैं। तुम्हें भी ऐसे लोग मिलते हैं क्या ?
वकील साहब - बहुत मिलते हैं ।
डॉक्टर साहब - तो फिर उनसे कैसे निपटते हो ?
वकील साहब - बिलकुल सीधा तरीका है । मैं उन्हें सलाह देता हूं जैसा कि वो चाहते हैं। बाद में उनके घर बिल भिजवा देता हूं।
यह बात डॉक्टर साहब को कुछ जम गई । अगले रोज उन्होंने भी पार्टी में मिले कुछ लोगों के नाम बिल बनाए और उन्हें भिजवाने ही वाले थे कि तभी उनका नौकर अन्दर आया और बोला - साहब, कोई आपसे मिलना चाहता है ।
डॉक्टर साहब - कौन है ?
नौकर - वकील साहब का चपरासी है । कहता है कल रात पार्टी में आपने वकील साहब से जो राय ली थी उसका बिल लाया है ... kal yug main aaisa hi logo का guzara hai
Tuesday, September 7, 2010
हर्ष,जोश, प्रगति, उन्नत्ति, विकास, विश्वास के साथ जीवन के पथ परबढ़ो
हर्ष,जोश, प्रगति, उन्नत्ति, विकास, विश्वास के साथ जीवन के पथ परबढ़ो
विश्वास hi जीवन है जो ki आज कल कोइए किसी पर नहीं करता है
Monday, September 6, 2010
वह हमेशा मेरे साथ रहेंगी
'मेरी मां बहुत सुंदर और बहुत अच्छी थी। उन्होंने मुझसे कहा था कि वह कभी मर नहीं सकती। मेरी मां ने मुझसे कहा था
कि वह हमेशा मेरे साथ रहेंगी। इसीलिए मैंने उनकी डेथ के बारे में किसी को नहीं बताया था। उनकी मौत पिछले साल दिसंबर में हुई थी।'
यह बयान है उन शालिनी मेहरा का, जो अपनी मां के शव के साथ एक ही फ्लैट में महीनों से रह रही थी। उन्होंने सोमवार को एनबीटी को बताया कि मेरी मां ने ही उनकी मौत के बारे में किसी को खबर न देने और साथ रहने के लिए कहा था। शालिनी को देखकर यह अनुमान लगाना मुश्किल था कि वह किसी शव के साथ महीनों तक रही होंगी।
साकेत के 'डी-58' में ग्राउंड फ्लोर पर शालिनी मेहरा रहती हैं। उनकी मां विनोदिनी गुप्ता (80) का शव शनिवार दोपहर पुलिस ने उनके फ्लैट का गेट तोड़कर बाहर निकाला था। पुलिस ने बताया कि फ्लैट में जबर्दस्त बदबू फैली हुई थी। पीछे वाले कमरे में बिस्तर पर पड़ा शव बुरी तरह सड़ चुका था। उसे पैक करने में पुलिस को खासी कठिनाई हुई। हाथ लगाते ही शव बिखर रहा था। ऐसी डेड-बॉडी के साथ शालिनी मेहरा अकेले महीनों से रह रही थी। हालांकि शालिनी पिछले साल दिसंबर में मां की मौत बता रही है, लेकिन बयानों और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक उनकी मौत दो-तीन महीने पहले हुई थी।
पोस्टमॉर्टम के बाद एम्स के डॉक्टरों ने पुलिस को बता दिया है कि विनोदिनी गुप्ता की मौत नैचरल थी। उनके पति पुरुषोत्तम लाल गुप्ता की मौत 10 साल पहले हो चुकी थी। पहले वह इंग्लैंड में रहा करते थे। साकेत आरडब्ल्यूए के प्रेजिडेंट बंसीलाल के मुताबिक इंग्लैंड से आने के बाद उन्होंने साकेत में घर बनाया था। शालिनी मेहरा ब्रिटिश नागरिक है। उनकी शादी दिल्ली पुलिस के पहले आईजी डी. डब्ल्यू मेहरा के बेटे रोनेश मेहरा से हुई थी, लेकिन उनमें अलगाव होने के बाद शालिनी अपनी मां के साथ रह रही थी। उनकी बेटी रेहाना मेहरा बेंगलुरु में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं।
इस बिल्डिंग के सिक्युरिटी गार्ड सुरेश सरवरिया के मुताबिक, उसने पिछले तीन महीने से विनोदिनी को नहीं देखा। उससे पहले वह अक्सर बाहर गेट तक आ जाया करती थी। सरवरिया ने बताया कि उसने शालिनी से उनकी मां के बारे में जानना चाहा तो वह जोर से डांटती थी। उसने बताया कि शालिनी हमेशा घर के अंदर अकेली रहती हैं। घर के अंदर खड़ी उनकी मारुति 800 कार सालों से नहीं चली है। शालिनी मेहरा के पड़ोसी मानक गुप्ता ने बताया कि वह किसी पड़ोसी से कभी बातचीत नहीं करती।
गार्ड सरवरिया ने बताया कि शनिवार दोपहर 12 बजे इस बिल्डिंग में पानी के मीटर चेक करने दिल्ली जल बोर्ड का कर्मचारी राजेंद्र भड़ाना आया था। वह खटखटाता रहा , बहुत देर बाद शालिनी ने दरवाजा खोला। भड़ाना ने सरवरिया को अंदर किसी बुजुर्ग महिला के बाल पड़े होने और बदबू आने की जानकारी दी। दोनों फर्स्ट फ्लोर पर रहने वाले के . एल . भाटिया के पास पहुंचे। भाटिया ने पुलिस कॉल की। पुलिस के लिए शालिनी ने गेट नहीं खोला तो गेट तोड़ना पड़ा। अंदर विनोदिनी गुप्ता की लाश पड़ी थी।
पुलिस अफसरों के मुताबिक शालिनी की दिमागी हालत पूरी तरह ठीक नहीं है। उन्हें काउंसलिंग की जरूरत है। पुलिस अफसर ने बताया कि नैचरल डेथ होने के बाद शव को घर में रखने के बारे में कानूनी सलाह ली जा रही है। पांच साल पहले तिमारपुर में एक एएसआई की मौत के बाद उसकी पत्नी तीन महीने तक लाश घर में रखकर धूपबत्ती जलाती रही थी। उसे अपने पति के दोबारा जीवित होने का यकीन था। उस मामले में भी महिला के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई
Friday, September 3, 2010
रोम जलता रहा शीला दिल्ली मेरी जान गाती रही
रोम जलता रहा --------------